तुड़ी का दान स्वर्ण (सोना) दान के बराबरः नई सोच
सभी किसानों व ज़िमीदार भाईयों से नई सोच संस्था के संस्थापक अध्यक्ष अशवनी गैंद द्वारा एक प्रैस वार्ता के दौरान अपील की गई है कि फसलें कटने को तैयार हैं और कटाई में बचने वाली तुड़ी का कुछ हिस्सा शहर की गऊशालाओं को दान के रूप में ज़रूर दें, खासतौर पर नगर निगम द्वारा चलाई जाने वाली गऊशला में, क्योंकि चारे का रेट अधिक होने के कारण नगर निगम गऊशाला को 40 रूपये प्रति गऊधन मिलने से चारा पर्याप्त उपलब्ध करवाना मुश्किल हो रहा है। श्री गैंद ने शहर के दानी सज्जनों से भी अपील की कि शहर की बाकी गऊशालाओं को दान देने के साथ-साथ नगर निगम की गऊशाला में भी दान के तौर पर चारा भेजना शुरू करें ताकि वहां पल रहे गऊधन को पेट भर चारा मिल सके। नगर निगम गऊशाला चलाने वाली संस्था द्वारा प्रशसान को लिखित रूप में गऊशाला छोड़ने के लिये पत्र दे दिया है क्योंकि कम पैसो से चारा उपलब्ध करवाना मुश्किल हो रहा है और 350 के करीब गऊधन इतनी छोटी जगह में रखना भी मुश्किल है क्योंकि तुड़ी का सीज़न एक-दो महीने ही चलने वाला है सो दानी सज्जनो से अपील है कि तुड़ी का दान कर के पुण्य के भागी बने। तुड़ी दान करना शास्त्रों में स्वर्ण (सोना) के दान करने के बराबर माना गया है और आने वाली भीष्म गर्मी में चारे का उपलब्ध होना कम हो जाता है और तुड़ी को स्टोर करके रखा जा सकता है। अशवनी गैंद ने बताया कि नई सोच संस्था द्वारा डिप्टी कमिशनर कोमल मित्तल जी से निवेदन है कि गांवो के सरपंचो एवं पंचो की ड्यूटी लगाकर फ्री तुड़ी सरकार द्वारा चलाई जाने वाली गऊशलाओं में भिजवायें ताकि पल रहे गऊधन के चारे का इन्तज़ाम हो सके। इस अवसर पर इन्द्रपाल सूद, पुरूषोत्तम ओहरी, नीरज गैंद, सोनू टंडन, तिलक राज शर्मा, राजकुमार वशिष्ट, रमन कुमार आदि उपस्थित थे।